और में अचानक आ काश में उड़ ती, रसातल में पहुंच जाती हूं, कभी कभी, कभी कभी। और में अचानक आ काश में उड़ ती, रसातल में पहुंच जाती हूं, कभी कभी, कभी कभी।
नहीं थकती तो बस उनकी उम्मीदें नहीं थकती तो बस उनकी उम्मीदें
एकांकीपन में अक्सर ही धड़कनें मेरा साथ देती हैं । एकांकीपन में अक्सर ही धड़कनें मेरा साथ देती हैं ।
आस पास तो बहुत लोग हैं,पर पास कोई नहीं! आस पास तो बहुत लोग हैं,पर पास कोई नहीं!
दुनियां से पर्दा किया तो ठीक अब खुद से क्या पर्दा पगले.....! दुनियां से पर्दा किया तो ठीक अब खुद से क्या पर्दा पगले.....!
अंतर्मन में जाने कितना शोर है। कितनी भीड़ है अपूर्ण इच्छाओं की। अंतर्मन में जाने कितना शोर है। कितनी भीड़ है अपूर्ण इच्छाओं की।